हाईकोर्ट ने RTI कार्यकर्ता अमित जेठवा की हत्या के मामले में भाजपा के पूर्व सांसद समेत सात लोगों को बरी कर दिया है। इन लोगों को CBI अदालत ने दोषी ठहराया था। इसी के खिलाफ भाजपा के पूर्व सांसद दीनू सोलंकी और अन्य छह लोगों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अपील दी थी, जिसे अदालत ने सोमवार को स्वीकार कर लिया।

पहले ही दोषी मानते हुए कार्यवाही की
न्यायमूर्ति एएस सुपेहिया और न्यायमूर्ति विमल के व्यास की खंडपीठ ने CBI अदालत के उस आदेश को रद्द कर दिया, जिसमें उपरोक्त सभी को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। गुजरात हाईकोर्ट ने गौर किया कि निचली अदालत ने पहले ही दोषी मानते हुए कार्यवाही की। पीठ ने कहा कि ऐसा लगता है कि अपराध को लेकर की गई जांच में शुरुआत से ही सावधानी नहीं बरती गई और पहले से ही आरोपियों को दोषी मान लिया गया था।

सोलंकी और छह अन्य को हत्या तथा आपराधिक साजिश के मामले में 2019 में CBI अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी और 15 लाख रुपये का जुर्माना भरने का आदेश दिया था। हाईकोर्ट ने बाद में दीनू सोलंकी और इस मामले में दोषी ठहराए गए उनके भतीजे की आजीवन कारावास की सजा पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने मामले के मुख्य आरोपी दीनू सोलंकी और छह अन्य की अपील को सोमवार को स्वीकार कर लिया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाने वाले CBI अदालत के आदेश को रद्द कर दिया।

2019 में ठहराया था दोषी
CBI अदालत द्वारा सात जून 2019 को दोषी ठहराए जाने के फैसले के खिलाफ दीनू सोलंकी ने याचिका दायर की थी। इसके बाद सितंबर 2021 में हाईकोर्ट ने अपील के लंबित रहने तक सोलंकी की सजा पर रोक लगा दी थी। पिछले साल, हाईकोर्ट ने उनके भतीजे शिवा सोलंकी की आजीवन कारावास की सजा पर भी रोक लगा दी थी और CBI अदालत द्वारा सुनाई गई सजा के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई होने तक उन्हें जमानत दे दी थी।

यह है मामला
RTI अधिनियम के तहत जानकारी मांगकर कथित तौर पर दीनू सोलंकी की संलिप्तता वाली अवैध खनन गतिविधियों को उजागर करने की कोशिश के बाद 20 जुलाई 2010 को गुजरात हाईकोर्ट के बाहर जेठवा की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। इसके बाद दो अज्ञात हमलावरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई और जांच राज्य पुलिस के आपराधिक अन्वेषण विभाग (सीआईडी) को सौंप दी गई। सीआईडी ने इस मामले में आरोपपत्र दायर किया। सितंबर 2012 में हाईकोर्ट ने जांच CBI को सौंप दी। CBI अदालत ने सात जून 2019 को सातों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

Source Link

Picture Source :